Thursday 23 March 2017

CBSE : 10वीं में ग्रेडिंग खत्म, नंबर सिस्टम लागू


नयी दिल्ली :सीबीएसई ने नये सत्र से असेसमेंट व परीक्षा सिस्टम बदलने का फैसला किया है। छठी से 8वीं तक देशभर में सीबीएसई से जुड़े सभी 18,688 स्कूल अब साल में 2 बार परीक्षा लेंगे। इनका नाम टर्म-1 और टर्म-2 रहेगा। इनके आधार पर सभी स्कूल रिपोर्ट कार्ड भी एक जैसा ही जारी करेंगे। नौंवी के लिए परीक्षा व्यवस्था और रिपोर्ट कार्ड 10वीं जैसे रहेंगे। 2017-18 से 10वीं क्लास में ग्रेडिंग खत्म कर नंबर सिस्टम फिर से लागू किया जाएगा। पैटर्न बदलने का मकसद छठी से ही 10वीं के लिए तैयार करना है। वर्ष 2009 से चली आ रही कॉम्प्रिहेंसिव इवेल्यूएशन स्कीम (सीसीई) को औपचारिक तौर पर खत्म कर दिया है। आगामी सत्र
(2017-18) से यह सिस्टम एक नई प्रणाली से बदल दिया जाएगा। नए सिस्टम में बोर्ड के सभी स्कूलों में एक समान परीक्षा और रिपोर्ट कार्ड का सिस्टम होगा, जिसकी जानकारी बोर्ड के पास जाएगी। सीबीएसई के चेयरमैन आरके चतुर्वेदी ने बताया कि इस कवायद का मकसद शैक्षणिक गुणवत्ता सुधारना है। उन्होंने साफ किया कि नई व्यवस्था में भी 8वीं तक कोई छात्र फेल नहीं किया जाएगा। हालांकि, 32 से कम अंक हुए तो ‘ई’ ग्रेड के साथ सुधार की जरूरत भी लिखी जाएगी। छठी से 8वीं तक 3 भाषा और 2 विषय पढ़ाए जाएंगे। नौवीं में छात्र 2 भाषा और 3 विषय पढ़ेंगे।
रिपोर्ट कार्ड ऑनलाइन माइग्रेशन पर आसान दाखिला
यूनिफॉर्म रिपोर्ट कार्ड होने के बाद माइग्रेशन पर दूसरे राज्य में जाने वाले स्टूडेंट्स का दाखिला आसानी से हो जाएगा। रिपोर्ट कार्ड ऑनलाइन रहेगा। कोई भी स्कूल इन्हें आसानी से जांच सकेगा। नये रिपोर्ट कार्ड पर सीबीएसई के साथ स्कूल का लोगो भी होगा। रिपोर्ट कार्ड में विषयों की समझ के साथ ही खेल व अन्य कार्यकलापों की परफॉर्मेंस भी रहेगी। इसके लिए को-स्कॉलिस्टिक एक्टीविटीज का बॉक्स है। इसमें ‘ए’ ग्रेड यानी आउटस्टैंडिंग, ‘बी’ का मतलब वैरी गुड और ‘सी’ यानी फेयर माना जाएगा। अनुशासन कॉलम में भी इसी आधार पर ग्रेडिंग रहेगी।
क्या है उद्देश्य
सीबीएसई सत्र 2017-18 से 10वीं कक्षा में ग्रेडिंग खत्म कर नंबर सिस्टम लागू कर रहा है। पैटर्न बदलने का मकसद छात्रों को छठी कक्षा से ही 10वीं के बोर्ड के लिए मानसिक रूप से तैयार करना है।
*क्या है अभी प्रक्रिया*
सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों में असेसमेंट और परीक्षा का पैटर्न एक जैसा नहीं है। कोई 3 तो कोई 4 परीक्षा लेता है। सभी परीक्षाओं का औसत निकालकर सालाना रिजल्ट बनता है। रिपोर्ट कार्ड का पैटर्न भी अलग-अलग होता है।
100-100 नंबर की 2 परीक्षाएं
टर्म-1
100 अंक की होगी। 20 अंक छात्र के व्यवहार और शैक्षणिक गतिविधि के होंगे। बाकी 80 अंक लिखित परीक्षा के।
20 अंक लिखित परीक्षा से पहले ही तय कर लिए जाएंगे। इनमें से 10 अंक पीरियोडिक टेस्ट के रहेंगे। स्कूल द्वारा पीरियोडिक टेस्ट की घोषणा तक कवर सिलेबस इसमें शामिल किया जाएगा।
बाकी के 10 अंक दो जगह बंटेंगे। 5 नोटबुक सबमिट करने के और 5 अंक विषयों के प्रति छात्र की समझ के लिए दिए जाएंगे।
यह 20 अंक बाद में 80 अंकों की परीक्षा के साथ जोड़े जाएंगे।
टर्म-2
इसमें भी 20 अंक छात्र की शैक्षणिक गतिविधि के और 80 लिखित परीक्षा के होंगे।
80 अंक की लिखित परीक्षा में सिलेबस थोड़ा बदलेगा। छठी की परीक्षा में टर्म 2 का पूरा और टर्म 1 का 10 प्रतिशत सिलेबस शामिल होगा।
7वीं के छात्रों के लिए टर्म 2 का पूरा और टर्म 1 का 20 प्रतिशत सिलेबस 80 अंक वाली लिखित परीक्षा में शामिल किया जाएगा।
8वीं के छात्रों की टर्म 2 का पूरा और टर्म 1 का 30 प्रतिशत सिलेबस 80 अंक की परीक्षा में शामिल रहेगा। ताकि बच्चे की पूरे पाठ्यक्रम पर पकड़ बरकरार रहे।

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