Monday, 20 February 2017

RESERVATION ADOPTED CHILD KO BHI MILEGA

सौरभ मलिक/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 19 फरवरी
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि यदि आरक्षित श्रेणी से जुड़ा कोई व्यक्ति किसी अन्य जाति के बच्चे को गोद लेता है तो उसे अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र का लाभ लेने से वंचित नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट ने उक्त निर्देश एक ‘ब्राह्मण’ बच्चे के मामले में दिया, जिसे आरक्षित श्रेणी के रतेज भारती (याचिकाकर्ता) द्वारा गोद लिया गया। जस्टिस जयश्री ठाकुर के अनुसार यह मामला वलसम्मा पाल मामले में
दिए गए फैसले से अलग है। रतेज भारती ने कोर्ट को बताया कि उसे 20 साल की शिक्षक की नौकरी से यह कहकर निकाल दिया गया कि उसके द्वारा बच्चे को गोद लेना वैध नहीं है और उसका गोद लिया हुआ बच्चा उसकी जाति का लाभ नहीं ले सकता।
जस्टिस ठाकुर ने फैसले में कहा, ‘इस मामले में याची को सक्षम अधिकारी द्वारा 1992 में जाति प्रमाणपत्र जारी किया गया…इसके आधार पर 1994 में उसने सरकारी नौकरी प्राप्त की…उसे नौकरी से निकालना न्यायाेचित नहीं है, क्योंकि उस समय तक उसका जाति प्रमाणपत्र रद्द नहीं किया गया था। जाति प्रमाणपत्र जारी करने की भी 2 बार जांच हुई और यह सही पाया गया। अत: इसका भी कोई सबूत नहीं है कि प्रमाणपत्र गलत तरीके से हासिल किया गया। जस्टिस ठाकुर ने पंजाब और अन्य प्रतिवादियों को निर्देश दिये कि वह याची को नौकरी में वापस लेते हुए सभी लाभ दें। कोर्ट ने यह भी कहा जब तक याची ने काम नहीं किया, उस समय की उसे तनख्वाह नहीं दी जाएगी।

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