हरियाणा में उच्चतर शिक्षा में सुधार के लिए विश्वविद्यालयों को पूर्ण
स्वायत्तता देने की तैयारी है। साथ ही कुलपति का कार्यकाल पांच वर्ष एवं
प्राध्यापकों की सेवानिवृत्ति आयु को 65 वर्ष किया जा सकता है। हरियाणा
विश्वविद्यालय समीक्षा समिति ने मंगलवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल व शिक्षा
मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा को सौंपी रिपोर्ट में कई अहम
सुझाव दिए।
समिति के अध्यक्ष प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने पावर प्वांइट प्रेजेंटेशन के बाद रिपोर्ट का ऑडियो संस्करण भी सौंपा। समिति ने विश्वविद्यालयों को पूर्ण स्वायत्तता देते हुए उनके दायित्व एवं जवाबदेही निर्धारित करने की सिफारिश की है। इसके अलावा प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में एक ही अधिनियम के अनुसार कार्य होने चाहिए। इसका प्रारूप भी प्रस्तुत किया गया। साथ ही उच्च शिक्षा परिषद का गठन का भी सुझाव है। उच्च शिक्षा के विषय में नीति निर्धारित करने के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में उच्च शिक्षा आयोग का गठन किया जाए। कुलपति 70 साल तक की उम्र तक काम कर सके।
समिति का सुझाव है कि विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थी सप्ताह में कम से कम 25 घंटे कक्षा या प्रयोगशाला में विद्या ग्रहण करें। इसके अलावा विश्वविद्यालयों का अनुदान मार्च में घोषित हो जाए। अनुदान देने के लिए एक विशेष फामरूले की रचना की गई है, जिसका आधार प्राध्यापकों की संख्या एवं विद्यार्थियों की संख्या रहेगी। शोध एवं नवाचारों को प्रोत्साहन देने के लिए भी समिति ने कई सुझाव दिए। इसके मुताबिक शोध के लिए राज्य सरकार सार्वजनिक विश्वविद्यालयों एवं निजी विश्वविद्यालयों में भेदभाव न करे।
समिति में ये दिग्गज रहे शामिल
उच्चतर शिक्षा में सुधार के लिए गठित कमेटी में देश के पांच अनुभवी शिक्षाविद शामिल किए गए। प्रो. बृज किशोर कुठियाला की अध्यक्षता में गठित समिति में प्रो. ओम प्रकाश अरोड़ा, प्रो. रजनीश अरोड़ा, प्रो. योगेश सिंह एवं मुख्यमंत्री के अतिरिक्तप्रधान सचिव डॉ. राकेश गुप्ता की अहम भूमिका रही।
इस मौके पर शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजेश खुल्लर, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव डॉ. राकेश गुप्ता, उच्चतर शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव डॉ. महावीर सिंह सहित समिति के सभी सदस्य मौजूद रहे।
सुझाव दिए।
समिति के अध्यक्ष प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने पावर प्वांइट प्रेजेंटेशन के बाद रिपोर्ट का ऑडियो संस्करण भी सौंपा। समिति ने विश्वविद्यालयों को पूर्ण स्वायत्तता देते हुए उनके दायित्व एवं जवाबदेही निर्धारित करने की सिफारिश की है। इसके अलावा प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में एक ही अधिनियम के अनुसार कार्य होने चाहिए। इसका प्रारूप भी प्रस्तुत किया गया। साथ ही उच्च शिक्षा परिषद का गठन का भी सुझाव है। उच्च शिक्षा के विषय में नीति निर्धारित करने के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में उच्च शिक्षा आयोग का गठन किया जाए। कुलपति 70 साल तक की उम्र तक काम कर सके।
समिति का सुझाव है कि विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थी सप्ताह में कम से कम 25 घंटे कक्षा या प्रयोगशाला में विद्या ग्रहण करें। इसके अलावा विश्वविद्यालयों का अनुदान मार्च में घोषित हो जाए। अनुदान देने के लिए एक विशेष फामरूले की रचना की गई है, जिसका आधार प्राध्यापकों की संख्या एवं विद्यार्थियों की संख्या रहेगी। शोध एवं नवाचारों को प्रोत्साहन देने के लिए भी समिति ने कई सुझाव दिए। इसके मुताबिक शोध के लिए राज्य सरकार सार्वजनिक विश्वविद्यालयों एवं निजी विश्वविद्यालयों में भेदभाव न करे।
समिति में ये दिग्गज रहे शामिल
उच्चतर शिक्षा में सुधार के लिए गठित कमेटी में देश के पांच अनुभवी शिक्षाविद शामिल किए गए। प्रो. बृज किशोर कुठियाला की अध्यक्षता में गठित समिति में प्रो. ओम प्रकाश अरोड़ा, प्रो. रजनीश अरोड़ा, प्रो. योगेश सिंह एवं मुख्यमंत्री के अतिरिक्तप्रधान सचिव डॉ. राकेश गुप्ता की अहम भूमिका रही।
इस मौके पर शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजेश खुल्लर, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव डॉ. राकेश गुप्ता, उच्चतर शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव डॉ. महावीर सिंह सहित समिति के सभी सदस्य मौजूद रहे।
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