पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार और हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग
को निर्देश दिया कि वह साक्षात्कार कमेटी को उम्मीदवार की शैक्षणिक और
प्रतियोगी परीक्षा के नंबर उपलब्ध न करायें। हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को
निर्देश दिये कि वह इस मामले में कोर्ट को 4 माह के भीतर बतायें।
जस्टिस पीबी बजनथ्री ने उक्त निर्देश ज्योति शर्मा की याचिका पर दिये। ज्योति ने स्टेटिस्टिकल असिस्टेंट पद पर एक व्यक्ति के चयन और नियुक्ति पर इस आधार पर सवाल उठाये थे कि वह उक्त पद के लिए योग्यता पूरी नहीं करता। याची के अधिवक्ता ने हाईकोर्ट में दावा किया कि साक्षात्कार कमेटी को वादी और प्रतिवादी की शैक्षणिक योग्यता और नंबरों के बारे
में पता था।
प्रतिवादी को इंटरव्यू में 19, जबकि याचिकाकर्ता को 8 नंबर दिये गये।
हाईकोर्ट ने राज्य के अधिवक्ता को निर्देश दिये कि वह साक्षात्कार में दिये गये नंबरों का मूल रिकार्ड पेश करें ताकि यह पता लग सके कि नंबर देने में मनमानी की गई। रिकार्ड की मूल कॉपी की जगह कोर्ट में टाइप की हुई प्रति प्रस्तुत की गई थी। जब मूल रिकार्ड दिखाने को कहा गया तो कोर्ट को बताया गया कि मूल रिकार्ड नष्ट हाे चुका है।
अपने विस्तृत निर्देश में जस्टिस बजनथ्री ने कहा कि मूल रिकार्ड न होने के कारण की गई मनमानी या अवैधता का निर्णय नहीं किया जा सकता। लेकिन वादी और प्रतिवादी के शैक्षणिक और साक्षात्कार के नंबर यह खुलासा करते हैं कि ‘कुछ मनमानी’ की गई। दूसरा यह कि प्रतिवादी के चयन और नियुक्ति को अलग रखा जाए।
जस्टिस पीबी बजनथ्री ने उक्त निर्देश ज्योति शर्मा की याचिका पर दिये। ज्योति ने स्टेटिस्टिकल असिस्टेंट पद पर एक व्यक्ति के चयन और नियुक्ति पर इस आधार पर सवाल उठाये थे कि वह उक्त पद के लिए योग्यता पूरी नहीं करता। याची के अधिवक्ता ने हाईकोर्ट में दावा किया कि साक्षात्कार कमेटी को वादी और प्रतिवादी की शैक्षणिक योग्यता और नंबरों के बारे
में पता था।
प्रतिवादी को इंटरव्यू में 19, जबकि याचिकाकर्ता को 8 नंबर दिये गये।
हाईकोर्ट ने राज्य के अधिवक्ता को निर्देश दिये कि वह साक्षात्कार में दिये गये नंबरों का मूल रिकार्ड पेश करें ताकि यह पता लग सके कि नंबर देने में मनमानी की गई। रिकार्ड की मूल कॉपी की जगह कोर्ट में टाइप की हुई प्रति प्रस्तुत की गई थी। जब मूल रिकार्ड दिखाने को कहा गया तो कोर्ट को बताया गया कि मूल रिकार्ड नष्ट हाे चुका है।
अपने विस्तृत निर्देश में जस्टिस बजनथ्री ने कहा कि मूल रिकार्ड न होने के कारण की गई मनमानी या अवैधता का निर्णय नहीं किया जा सकता। लेकिन वादी और प्रतिवादी के शैक्षणिक और साक्षात्कार के नंबर यह खुलासा करते हैं कि ‘कुछ मनमानी’ की गई। दूसरा यह कि प्रतिवादी के चयन और नियुक्ति को अलग रखा जाए।
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