Wednesday, 22 February 2017

PHHC :हरियाणा के अफसर का प्रमोशन 22 साल के बाद हाई कोर्ट ने की खारिज

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए हरियाणा के एक अधिकारी की पदोन्नति को 22 साल बाद खारिज कर दिया है। अदालत ने 1995 में हरियाणा विधानसभा में पर्सनल असिस्टेंट से पर्सनल सेक्रेटरी बनने वाले सुभाष चंद्र की प्रमोशन रद की है। साथ ही प्रमोशन को चुनौती देने वाले के वर्ष 1995 से प्रमोट करने के दावे पर चार माह के भीतर फैसला करने का आदेश दिया है।
सुभाष चंद्र की पदोन्नति के खिलाफ जगदीश राय व अन्य ने याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था
कि याचिकाकर्ता की नियुक्ति विधानसभा में रिपोर्टर के तौर पर हुई थी। वर्ष 1995 में विधानसभा में पर्सनल सेक्रेटरी के पदों पर नियुक्ति के लिए उसने भी आवेदन किया था।
याचिकाकर्ता ने कहा कि वरिष्ठता व योग्यता के मानक को पूरा करने के बाद ही नियुक्ति की जानी चाहिए थी, जो नहीं की गई। इस पर हरियाणा सरकार की ओर से कहा गया कि योग्य लोगों में से आवश्यकता के अनुरूप पर्सनल असिस्टेंट को चयनित किया गया है और हमेशा इसी कैडर से चुनाव होता है।
हरियाणा सरकार के इस जवाब पर हाई कोर्ट ने कहा कि इसके मायने यह हुए कि पर्सनल सेक्रेटरी पद पर केवल पर्सनल असिस्टेंट को ही प्रमोशन मिलेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि पर्सनल असिस्टेंट स्पीकर और डिप्टी स्पीकर की गुड बुक में होते हैं। नियमों के अनुसार कॉमन मेरिट लिस्ट बनाई जानी चाहिए थी और इसके अनुरूप कार्य किया जाना चाहिए था। लेकिन, रिकॉर्ड बताता है कि वर्ष 1981 से 1995 के बीच केवल पर्सनल असिस्टेंट को ही पर्सनल सेक्रेटरी बनाया गया है।
जस्टिस पीबी बजंथरी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का इस बारे मेंं स्पष्ट आदेश है कि जहां प्रमोशन व नियुक्ति में धांधली दिखाई दे वहां दशकों पुराने एक्शन को भी खारिज किया जा सकता है। ऐसे में हाई कोर्ट ने सुभाष चंद्र की 24 अप्रैल 1995 की प्रमोशन को खारिज करने के आदेश दे दिया। साथ ही सरकार को आदेश दिए कि वह याचिकाकर्ता के 1995 से प्रमोशन देने के दावे पर विचार करे। याची रिटायर हो चुका है फिर भी उसकी प्रमोशन यदि बाकी योग्यताओं के अनुरूप बनती है तो ऐसी स्थिति में उसे प्रमोट कर चार माह के भीतर सभी सेवा लाभ दिए जाएं।

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