Wednesday 22 February 2017

5 SAAL KA HOGA VC KA KARYAKAAL

चंडीगढ़, 21 फरवरी (ट्रिन्यू)
हरियाणा में विश्वविद्यालयों (यूनिवर्सिटी) के कुलपतियों का कार्यकाल बढ़ाकर 5 वर्ष करने की तैयारी है। वर्तमान में वीसी का कार्यकाल 3 वर्ष है। यही नहीं, 70 वर्ष की उम्र तक वीसी के पद पर रहने की सिफारिश भी की गई है। ये सिफारिश प्रो़ बृजकिशोर कुठियाला की अध्यक्षता में गठित की गई हरियाणा विवि समीक्षा समिति द्वारा की गई है। समिति ने मंगलवार को चंडीगढ़ में सीएम मनोहर लाल खट्टर को अपनी रिपोर्ट
सौंपी। इस मौके पर शिक्षा मंत्री प्रो़ रामबिलास शर्मा भी मौजूद रहे।
प्रो़ कुठियाला कमेटी ने यूनिवर्सिटी के लेक्चरर (प्राध्यापकों) की रिटायरमेंट उम्र भी 60 से बढ़ाकर 65 वर्ष करने की सिफारिश की है। इसके अलावा शिक्षा में सुधार, विश्वविद्यालयों के वार्षिक बजट, शोध कार्यों सहित कई अहम सिफारिशें कमेटी द्वारा की गई है। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश की खट्टर सरकार कैबिनेट की बैठक में रिपोर्ट पर मुहर लगाकर इन सिफारिशों को लागू कर सकती है। 27 से शुरू होने वाले बजट सत्र में ही इस संबंध में संशोधन विधेयक भी पेश किए जा सकते हैं।
प्रो़ कुठियाला का कहना है कि यह रिपोर्ट हरियाणा के पब्लिक विश्वविद्यालयों को पूर्ण स्वायत्तता देने के साथ-साथ उनके दायित्व एवं जवाबदेही भी निर्धारित की गई है। कुलपति का कार्यकाल पांच वर्ष एवं प्राध्यापकों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष करने का सुझाव दिया गया है। कमेटी में प्रो़ कुठियाला अध्यक्ष हैं और प्रो़ ओमप्रकाश अरोड़ा इसके सचिव हैं। इसी तरह से प्रो़ रजनीश अरोड़ा, प्रो़ योगेश सिंह व सीएम के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ़ राकेश गुप्ता कमेटी में राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के अनुसार राज्य में उच्च शिक्षा परिषद का गठन भी विधानसभा के माध्यम से करने की सिफारिश की गई है। उच्च शिक्षा के विषय में नीति निर्धारित करने के लिए समिति का सुझाव है कि सीएम की अध्यक्ष्ता में उच्च शिक्षा आयोग का गठन किया जाए। समिति ने विश्वविद्यालयों का अनुदान मार्च महीने में घोषित करने और अनुदान देने के लिए एक विशेष फार्मूले की रचना की गई है, जिसका आधार प्राध्यापकों की संख्या एवं विद्यार्थियों की संख्या रहेगी। शोध एवं नवाचारों को प्रोत्साहन देने के लिए भी समिति ने अनेक सुझाव दिए हैं।
*रिसर्च में भेदभाव न हो*
समिति ने सिफारिश की है कि रिसर्च के लिए राज्य सरकार पब्लिक विश्वविद्यालयों एवं निजी विश्वविद्यालयों में भेदभाव न करे। इस मौके पर शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा, सीएम के प्रधान सचिव राजेश खुल्लर, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव डॉ़ राकेश गुप्ता, उच्चतर शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव डॉ़ महावीर सिंह, तकनीकी शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव अनिल मलिक, उच्चतर शिक्षा विभाग के निदेशक ए. श्रीनिवास, तकनीकी शिक्षा विभाग के महानिदेशक डॉ़ साकेत कुमार, समिति के सचिव प्रो. ओमप्रकाश अरोड़ा, प्रो़ रजनीश अरोड़ा व प्रो़ योगेश सिंह मुख्य रूप से मौजूद रहे।
एक अधिनियम के तहत हों काम
कमेटी ने सिफारिश की गई है कि प्रदेश की सभी यूनिवर्सिटी में एक ही अधिनियम के अनुसार कार्य होने चाहिएं। इसका प्रारूप भी समिति ने सीएम को सौंपा है।

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