सुरेंद्र यादव, नारनौल : शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए तो कई तरह के प्रयास कर रहा है, लेकिन शिक्षकों की कमी पूरी करने की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। इसके चलते विद्यार्थियों को अपने साथ जोड़ने के विभाग के प्रयासों में गतिरोध आ रहा है। अधिकतर स्कूलों में एक शिक्षा सत्र तो बिना शिक्षकों के बीत चुका है जबकि अगले सत्र के लिए दाखिला प्रक्रिया चल रही है। इस सत्र में भी शिक्षकों की कमी दूर होने की संभावना नजर नहीं आ रही क्योंकि नई भर्ती के लिए न तो अभी तक प्रक्रिया शुरू
हुई है और न ही निकट भविष्य में भर्ती की संभावना नजर आ रही है।
गत वर्ष 17 जून को प्रदेश में हजारों प्रशिक्षित स्नातक शिक्षकों (पीजीटी)
को पदोन्नति देकर केमिस्ट्री, फिजिक्स, मैथ व सोशल साइंस विषय के
स्नातकोत्तर शिक्षक (पीजीटी) बना दिया गया, जो कि 12वीं तक की कक्षाओं में
पढ़ा रहे हैं। इससे माध्यमिक स्कूलों में गणित और विज्ञान विषयों के
शिक्षकों के पद बड़ी संख्या में रिक्त हो गए। शिक्षा सत्र के मध्य में किए
गए इस पदोन्नति के साथ स्थानांतरण के चलते पूरे सत्र में विद्यार्थियों को
मैथ और साइंस की तैयारी अपने तौर पर ही करनी पड़ी।
संबंधित विषय के शिक्षकों की कमी के चलते स्कूल मुखियाओं ने कक्षाओं में पीटीआइ और ड्राइंग विषय के शिक्षकों की ड्यूटी लगाकर काम चलाने का प्रयास किया। इन शिक्षकों ने बेशक सामर्थ्य अनुसार पढ़ाया, लेकिन विषय का पूरा ज्ञान नहीं होने के चलते वे न तो विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं को शांत कर पाए और न ही अपने मूल काम की तरफ ही ध्यान दे पाए। विद्यार्थियों को लगभग नौ महीने तक बिना शिक्षकों के ही रहना पड़ा। अब जब सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की ड्यूटी गांवों में घर-घर जाकर विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने में लगाई गई है तो अभिभावक उनसे यही सवाल करते हैं कि बिना शिक्षकों के पढ़ाई कैसे होगी? इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
सेवानिवृत्त शिक्षकों की ली जाएंगी सेवाएं
यह बात ठीक है कि कई स्कूलों में शिक्षक बेहद कम हैं, लेकिन इसके लिए अन्य स्कूलों से डेपुटेशन पर शिक्षक भेजे जाएंगे। ऐसे स्कूलों के लिए प्रपोजल बनाकर स्कूली शिक्षा निदेशालय के पास भेजा जाएगा, वहां से डेपुटेशन को मंजूरी मिलेगी। इसके अलावा नए सत्र में सेवानिवृत्त शिक्षकों की सेवाएं ली जाएंगी। ऐसे कई शिक्षकों के आवेदन मेरे पास पहुंच चुके हैं। दाखिलों के बाद मासांत तक स्थिति स्पष्ट हो जाएगी कि किस स्कूल में कितने शिक्षकों की जरूरत है। उसी के अनुसार शिक्षक भेजे जाएंगे।
संबंधित विषय के शिक्षकों की कमी के चलते स्कूल मुखियाओं ने कक्षाओं में पीटीआइ और ड्राइंग विषय के शिक्षकों की ड्यूटी लगाकर काम चलाने का प्रयास किया। इन शिक्षकों ने बेशक सामर्थ्य अनुसार पढ़ाया, लेकिन विषय का पूरा ज्ञान नहीं होने के चलते वे न तो विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं को शांत कर पाए और न ही अपने मूल काम की तरफ ही ध्यान दे पाए। विद्यार्थियों को लगभग नौ महीने तक बिना शिक्षकों के ही रहना पड़ा। अब जब सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की ड्यूटी गांवों में घर-घर जाकर विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने में लगाई गई है तो अभिभावक उनसे यही सवाल करते हैं कि बिना शिक्षकों के पढ़ाई कैसे होगी? इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
सेवानिवृत्त शिक्षकों की ली जाएंगी सेवाएं
यह बात ठीक है कि कई स्कूलों में शिक्षक बेहद कम हैं, लेकिन इसके लिए अन्य स्कूलों से डेपुटेशन पर शिक्षक भेजे जाएंगे। ऐसे स्कूलों के लिए प्रपोजल बनाकर स्कूली शिक्षा निदेशालय के पास भेजा जाएगा, वहां से डेपुटेशन को मंजूरी मिलेगी। इसके अलावा नए सत्र में सेवानिवृत्त शिक्षकों की सेवाएं ली जाएंगी। ऐसे कई शिक्षकों के आवेदन मेरे पास पहुंच चुके हैं। दाखिलों के बाद मासांत तक स्थिति स्पष्ट हो जाएगी कि किस स्कूल में कितने शिक्षकों की जरूरत है। उसी के अनुसार शिक्षक भेजे जाएंगे।
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