Friday 12 May 2017

NEW SELECTED JBT BANE SARKAR KE LIYE MUSIBAT

नवचयनित जेबीटी सरकार के गले की फांस बने
नवचयनित जेबीटी शिक्षक सरकार के गले की फांस बनते जा रहे हैं। प्रदेश सरकार ने इन शिक्षकों को ज्वाइन तो करवा दिया है, लेकिन पद नहीं होने के चलते अभी तक स्टेशन आवंटित नहीं किए गए हैं। इसके चलते सुबह से सायं पांच बजे तक भीषण गर्मी और धूप के बीच ये शिक्षक जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पेड़ के नीचे दरी बिछाकर बैठे रहते हैं। उन्हें यह भी डर सता रहा है कि कहीं नौकरी से ही हाथ नहीं धोना पड़ जाए।
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय परिसर में मुख्य भवन से बाहर दरी बिछाकर बैठी नवचयनित शिक्षिकाओं
ने बताया कि तीन दिन तक तो उन्होंने विभिन्न स्कूलों में जाकर पढ़ाया, लेकिन दो दिनों से उन्हें कार्यालय में बुलाया जा रहा है। इसके बावजूद हाजिरी नहीं लगाने दे रहे।
उन्होंने बताया कि जिला शिक्षा अधिकारी ने पिछले सप्ताह उन्हें विभिन्न स्कूलों में जाकर विद्यार्थियों को पढ़ाने के निर्देश दिए थे। जब वे स्कूलों में गए तो वहां ठीक व्यवहार नहीं किया गया। कई स्कूलों में तो हेड टीचर्स ने उन्हें पढ़ाने की इजाजत ही नहीं दी क्योंकि डीईओ कार्यालय की ओर से उन्हें इसके लिए कोई पत्र जारी नहीं किया गया था। न ही इन स्कूलों में उनकी उपस्थिति दर्ज करवाई गई।
नवचयनित शिक्षकों ने बताया कि नियुक्ति के बाद हर दिन वे बेइज्जत हो रहे हैं। कुछ महिला शिक्षक डीईओ कार्यालय भवन में चली गई तो उन्हें वहां से निकाल दिया गया और बाहर दरी पर बैठने के लिए कहा गया। इसी तरह बाहर बैठे कुछ शिक्षकों से कुर्सियां खाली करवा ली गईं। शिक्षकों ने बताया कि उन्हें आज सुबह आठ बजे कार्यालय में बुलाया गया था कि ज्वाइ¨नग लेटर दिया जाएगा, लेकिन अधिकारी खुद दस बजे आए। इसके बावजूद उन्हें ज्वाइ¨नग लेटर नहीं दिया गया, उलटे मांगने पर धमकाकर भगा दिया गया।
न पानी की व्यवस्था न ही टॉयलेट की
डीईओ कार्यालय में सामान्य कर्मचारियों के अलावा नवचयनित जेबीटी शिक्षकों के आने से सारी व्यवस्थाएं चरमरा गईं। परिसर में मात्र एक टॉयलेट होने के चलते शिक्षकों को काफी परेशानी हुई। विशेषकर महिला शिक्षकों को ज्यादा दिक्कत हुई। इसी तरह कैंपर का पानी भी 11.30 बजे तक खत्म हो गया। इससे कर्मचारियों को पीने के पानी के लिए भटकना पड़ा। भीषण गर्मी के बावजूद छत नहीं मिलने पर दिनभर पेड़ की छांव तले ही शिक्षक बैठे रहे।
इस संबंध में संपर्क करने पर जिला शिक्षा अधिकारी मनोज लावणिया ने बताया कि कार्यालय के अंदर गलियारे में शिक्षकों के बैठने से आने-जाने में परेशानी हो रही थी, जिसके चलते शिक्षकों के लिए दरी के साथ-साथ कुर्सियां डलवाकर उन्हें बाहर बैठने के लिए कहा गया था। उन्होंने बताया कि सभी शिक्षकों से उनकी पसंद के तीन-तीन स्कूलों की लिस्ट मांगी थी और उन्हें उन स्कूलों में पढ़ाने के लिए कहा गया है।
कुछ शिक्षक स्कूलों में पढ़ा रहे हैं जबकि कुछ अन्य लोगों के बहकावे में आकर कार्यालय में बैठे हैं। सभी को संयुक्त ज्वाइ¨निग लेटर दे दिया गया है। जनसुविधाओं की कमी के बारे में उन्होंने कहा कि एकदम से अधिक शौचालयों का निर्माण करवाना संभव नहीं है। पानी खत्म होते ही अन्य कैंपर मंगवाकर व्यवस्था कर दी गई थी।
वेतन मिलने में हो सकती है परेशानी
विद्यार्थियों और शिक्षकों के अनुपात के हिसाब से जिला में जेबीटी शिक्षकों के पद पूरे भरे हुए हैं। ऐसे में महेन्द्रगढ़ जिला में 103 नए जेबीटी शिक्षकों को नियुक्ति के लिए भेजे जाने पर उन्हें स्कूलों में समायोजित करना शिक्षा विभाग के अधिकारियों के लिए मुसीबत बना हुआ है। यह भी परेशानी का सबब बनेगा कि इन लोगों को किस स्कूल में दिखाकर खजाने से वेतन निकलवाया जाए। सूत्रों के अनुसार इससे नवचयनित शिक्षकों को वेतन मिलने में देरी हो सकती है। बीच का रास्ता निकालने के लिए सरकार वर्तमान छात्र-शिक्षक अनुपात में कमी कर सकती है अथवा शिक्षकों का अन्य जिलों में स्थानांतरण किया जा सकता है।
एक तरफ, जहां जिला में जेबीटी शिक्षकों की भरमार हो गई है, वहीं माध्यमिक स्कूलों में पढ़ाने के लिए विज्ञान और गणित के शिक्षकों की भारी कमी है। सैकड़ों शिक्षकों के पीजीटी के रूप में पदोन्नत होने के बाद से अधिकांश स्कूलों में गणित और विज्ञान अध्यापकों के पद खाली पड़े हुए हैं। इससे विद्यार्थियों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है। नई भर्ती होने तक विद्यार्थियों को नुकसान न हो, इसके लिए डीईओ कार्यालय की ओर से नवचयनित शिक्षकों को विज्ञान और गणित शिक्षक के तौर पर समायोजित करने का प्रयास किया गया, लेकिन अभी तक ज्वाइन करने वाले 88 जेबीटी में से मात्र एक शिक्षक ही बीएससी बीएड डिग्रीधारी मिला है। इसके चलते यह प्रयास भी विफल रहा।

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