Sunday 10 January 2016

मकर संक्रांति मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा

अब 82 साल तक हर 15 जनवरी और इतने ही साल बाद 16 को मनेगी मकर संक्रांति मकर संक्रांति का पर्व पहली बार पूर्ण रूप से 15 जनवरी को मनाया जाएगा । तिथि में बदलाव के बाद पिछले साल 14 व 15 जनवरी को यह मनाया गया था । वहीं अगले 82 सालों तक 15 जनवरी को ही मकर संक्रांति मनाई जाएगी। सूर्यदेव मकर राशि में 14 जनवरी की रात 1.25 बजे प्रवेश करेंगे मकर राशि में प्रवेश के साथ ही भी एक दिन आगे बढ़ जाएगा। इससे 15 जनवरी को दान-पुण्य के साथ ही संक्रांति की धूम रहेगी। मालूम हो कि मकर संक्रांति आमतौर पर 14 जनवरी को मनाई जाती है। वहीं पिछले साल 2015 से यह 15 जनवरी से मनाया जा रहा है । हालांकि पिछले साल यह पूर्ण रूप से 15 जनवरी को नहीं पड़ा था। लिहाजा 14 जनवरी को भी संक्रांति मनाई गई थी । इसके साथ ही इस तिथि से दिन भी बड़े होने लगेंगे । सूर्य की वजह से संक्रांति एक दिन आगे चली जाती है
। इसके साथ 2017 सहित बीच के कुछ वर्षों में सूर्य की गति प्रभावित होगी । इससे 14 जनवरी को संक्रांति का रहेगा ।इसके बाद से 15 जनवरी को पूरी तरह से संक्रांति रहेगी। उन्होंने बताया कि संक्रांति का पुण्य फल देने वाला होता है । इसी दिन गंगा ने कपिल मुनि के आश्रम में प्रवेश कर राजा सगर के पुत्रों को मुक्ति दिलाई थी इसके साथ ही भीष्म पितामह ने भी सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही अपने प्राणों का परित्याग किया था। होगा पवित्र स्नान सूर्य के धनु राशि से मकर में प्रवेश करते ही सरोवरों में स्नान दान का भी महत्व है । मान्यता है कि संक्रांति के दिन पवित्र सरोवर में स्नान करने से पुण्य फल की वृद्घि होती है ।इस वजह से संक्रांति में बड़ी संख्या में श्रद्घालु आस्था के साथ सरोवर और पवित्र जलाशयों में डूबकी लगाएंगे। दान-पुण्य का है महत्व मकर संक्रांति में दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है । इसमें खिचड़ी, वस्त्र व तिल का दान किया जाता है । इसके साथ ही तिल का सेवन करने का भी विधान है। 82 साल के बाद 16 को अगले 82 साल के बाद संक्रांति की तिथि एक दिन फिर आगे बढ़ जाएगी । इससे 82 साल के बाद मकर संक्रांति का 16 जनवरी को मनाया जाएगा। मांगलिक कार्य होंगे शुरू सूर्य के उत्तरायण होते ही एक माह से मांगलिक कार्यों पर लगा प्रतिबंध भी खत्म होगा। इससे मकर संक्रांति से सभी मांगलिक कार्यों की धूम शुरू हो जाएगी और शहनाईयों की गूंज शुरू हो जाएगी ।गृह प्रवेश, नए कार्यों की शुआत जैसे अन्य शुभ कार्य भी शुरू होंगे।

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